इंटरमिटेंट डाइट (आईएम)- रुक- रुक कर खाने से क्या वजन कम हो सकता है?
रुक- रुक कर खाने का मतलब है कि आप दिन के आधे दिन कुछ नहीं खाएंगे और सिर्फ तय किए गए समय पर ही खाना खाएंगे। यह डाइट कई तरह से की जा सकती है जिसकी जानकारी आप इस आर्टिकल से प्राप्त कर सकते हैं।
जब भी वजन कम करने की एक्सट्रीम डाइट की बात होती है तो इंटरमिटेंट डाइट (आईएम) की बात जरुरी होती है। यह डाइट काफी पॉपुलर हो रही है। इसमें रुक- रुक कर तय किए गए समय पर ही खाना होता है। इस डाइट को फोलो करने से आपको मन चाही बॉडी शेप मिल जाएगी। इस डाइट में आपको पूरे दिन में तय किए गए समय पर ही खाना होता है। साथ ही इस डाइट में आप खाने के साथ- साथ व्रत (भूखे रहते हैं) भी रखते हैं। पूरे दिन में आप जितनी देर तक व्रत या फिर भूखे रहेंगे उतना असर आपके वजन कम होने पर होगा। लेकिन क्या इस डाइट से सच में वजन कम होता है? आइए इस डाइट के बारे में नजदीक से पता करते हैं।
विषय सूची
इंटरमिटेंट डाइट (आईएम) का असली मतलब
इंटरमिटेंट डाइट (आईएम) या फिर रुक-रुक कर खाने का मतलब होता है कि पूरे दिन में ज्यादा समय भूखे (व्रत की तरह) रहना है। और तय किए गए समय पर ही खाना। आपको अपने दिन के 24 घंटो को अपने खाना खाने के समय और भूखे रहने के समय को बांटना है।
पॉपुलर इंटरमिटेंट डाइट (आईएम)
1. 16/8 तरीका
16/8 में 16 का मतलब है कि दिन के 16 घंटे आपको कुछ नहीं खाना है। वहीं 8 का मतलब है कि दिन 8 घंटे आप खा सकते हैं। अब यह आपको तय करना है कि आपको कब खाना है और कब नहीं खाना है। इस डाइट के लिए यह सलाह दी जाती है कि आप अपना ब्रेकफास्ट छोड़ दें क्योंकि तभी आप पूरे दिन भूखे रह पाएंगे। आपको अपना डिनर रात 8 बजे तक या फिर उससे पहले कर लेना चाहिए और अगली दोपहर में फिर खाना चाहिए। 16 घंटे लगातार भूखा नहीं रहा जा सकता है इसलिए आप नो कैलोरी वाले बेवरेज पी सकते हैं जैसे कि पानी, ब्लैक कॉफी। अगर आप अपना डिनर जल्दी कर लेंगे तो यह डाइट जल्दी असर दिखाएगी।
2. ईट-स्टॉप-ईट
पहले की तरह ही आप इस डाइट में नो कैलोरी वाले बेवरेज पी सकते हैं जैसे कि पानी, ब्लैक कॉफी। यह डाइट 24 घंटे के लिए होती है। लेकिन अधिकतर लोग इसमें डिनर करते हैं और बाकी के सारे टाइम भूखे रहते हैं। और अगले दिन भी सिर्फ डिनर करते हैं, इसलिए इसको डिनर- डिनर कह सकते हैं। वैसे ही आप इसको ब्रेकफास्ट या फिर लंच के अनुसार भी कर सकते हैं। इस डाइट को हफ्ते में एक या दो बार फोलो किया जाता है।
3. 5:2 डाइट
इस डाइट में व्रत रखने की जगह कैलोरी पर कंट्रोल रखा जाता है। जो यह डाइट फोलो करता है वो हफ्ते के 5 दिन अपना सामान्य खाना खाता है और अगले 2 दिनों तक कैलोरी का सेवन 500 कैलोरी तक सीमित करता है। इसमें नो कैलोरी बेवरेज और लो कैलोरी खाने की चीज़े खा सकते हैं।
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4. वॉरियर डाइट
वॉरियर डाइट में 24 घंटे भूखे रहना होता है। ईट-स्टॉप-ईट डाइट की तरह इस डाइट में डिनर हेवी, प्रोटीन और कैलोरी से भरपूर होना चाहिए ताकि आपका पेट लंबे समय के लिए भरा रहे।
इंटरमिटेंट डाइट (आईएम) के फायदे
अब आपको पता चल गया होगा कि इंटरमिटेंट डाइट (आईएम) को कैसे फोलो करना है, तो अब इसके फायदो के बारे में भी जान लेते हैं।
1. वजन कम करने में मदद
इंटरमिटेंट डाइट (आईएम) को फोलो करने का असली मकसद ही वजन कम करने का होता है। इससे कैलोरी को कम किया जाता है। भूखे रहने से कैलोरी और फैट का सेवन कम हो जाता है।
2. स्वस्थ दिल
इसमें कोई शक की बात नहीं है कि अगर वजन कम रहेगा तो दिल की बीमारी होने के खतरा कम हो जाता है। इस डाइट को फोलो करने से दिल की बीमारी होने का खतरा कम हो जाता है।
3. सामान्य ब्लड शुगर
इंटरमिटेंट डाइट (आईएम) को फोलो करने से ब्लड शुगर लेवल सामान्य बना रहता है।
4. बढ़ती उम्र के आसार
एक स्टडी के अनुसार, व्रत करने से माइटोकॉन्ड्रियल नेटवर्क को एक साथ जोड़े रखता है। माइटोकॉन्ड्रियल फ्यूजन की प्रक्रिया में विभिन्न प्रकार के प्रोटीन शामिल होते हैं जो इस प्रक्रिया को बनाने वाली सेल की सहायता करते हैं। इससे उम्र भी बढ़ती है लेकिन बढ़ती उम्र के आसार जल्दी से दिखाई नहीं देते हैं।
5. स्वस्थ दिमाग
भूखे रहने से न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग नहीं होता है। यह दिमाग की गतिविधि और सोचने की क्षमता को बढ़ाता है।
इंटरमिटेंट डाइट (आईएम) के नुकसान
डाइट करने का मतलब स्वस्थ जीवन से होता है। अगर किसी डाइट से आप स्वस्थ नहीं रहते हैं तो वो डाइट आपके लिए नहीं है। इसलिए हर डाइट को फोलो करने से उसके फायदे और नुकसान के बारे में जरुर जान लें।
1. ब्रेकफास्ट छूट जाना
यह बात सभी को पता है कि पूरे दिन में ब्रेकफास्ट सबसे ज्यादा जरुरी खाना माना जाता है। ब्रेकफास्ट से ही आपको अपने दिन की अच्छी शुरुआत करने के लिए मदद मिलती है। लेकिन इंटरमिटेंट डाइट को फोलो करने के लिए आपको ब्रेकफास्ट को छोड़ना होता है।
2. जल्दी बदलाव
इंटरमिटेंट डाइट (आईएम) करने से शरीर में काफी बदलाव जल्दी- जल्दी होने लगते हैं। आखिर में रिजल्ट आपकी पसंद का होगा लेकिन कुछ लोग यह डाइट फोलो करने से परेशानी का भी सामना करते है जैसे कि थकान और कमजोरी।
3. थोड़े समय के लिए असर
यह डाइट थोड़े समय के लिए कामयाब होती है। जब आप कार्ब्स और कैलोरी का सेवन करना बंद कर देते हैं तो आपके शरीर को वैसी ही आदत हो जाती है। जिससे आप मेटाबोलिज्म (खाने के पचने और उससे आहार प्राप्त करने का समय) धीरे हो जाता है। जब इस डाइट को फोलो करना बंद कर देते हैं और फिर दोबारा से उतनी ही कैलोरी का सेवन करने लग जाते हैं जितनी डाइट शुरु करने से पहले लेत थे। ऐसा करने से आपका वजन बढ़ेगा और तेजी से बढ़ने लगेगा।
इंटरमिटेंट डाइट पढ़ने से वजन कम करने का तरीका आसान लगता है लेकिन असल में यह पेचीदा प्रोसेस है। डाइटिंग करने से सिर्फ वजन कम होता है। लेकिन स्वस्थ जिंदगी जीने के लिए बैलेंस डाइट का होनी जरुरी है जो शरीर को सभी आहार सही मात्रा में देती है। व्रत रखने में या फिर न रखने में कोई बुराई नहीं है, बस हर चीज़ को सही तरीके से करना मायने रखता है। इस बात का भी खास ध्यान रखें कि आपके शरीर को किस डाइट की जरुरत है। यह जानने के बाद अपनी डाइट को सही तरीके से फोलो करें और स्वस्थ रहें।